
सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश: पति के रिश्तेदारों को बेवजह आरोपी नहीं बनाया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए पति की मौसी और मौसेरी बहन को घरेलू हिंसा मामले में आरोपियों की सूची से बाहर कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी के झगड़े में अगर रिश्तेदारों ने दखल नहीं दिया, तो उन्हें आरोपी बनाना सही नहीं है।

जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि पारिवारिक मुकदमों में बेवजह सभी रिश्तेदारों का नाम शामिल करना गलत है। यदि कोई रिश्तेदार उत्पीड़न के दौरान शिकायतकर्ता को बचाने के लिए कुछ नहीं करता, तो इसे आरोपी बना देने का आधार नहीं हो सकता।
यह मामला तेलंगाना के भुवनागिरि जिले से जुड़ा था, जहां हाईकोर्ट ने पति की मौसी और मौसेरी बहन का नाम आरोपियों की सूची से हटाने से मना कर दिया था। दोनों पर दहेज उत्पीड़न (IPC 498A) और धमकी (IPC 506) का आरोप था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए कहा कि किसी रिश्तेदार की भूमिका के बिना उसे आरोपी बनाना उचित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि घरेलू हिंसा के मामलों को संवेदनशीलता के साथ देखना चाहिए, और अदालतों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शिकायतकर्ता के लिए अक्सर आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत पेश करना मुश्किल होता है।
Read the latest and breaking Hindi WWW.HINDI.THEINSIGHTTODAY.COM and English news on WWW.THEINSIGHTTODAY.COM. Get unbiased, reliable, and fast updates on India and the world. Explore news from politics, sports, Bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs, and more. Stay informed anytime, anywhere by downloading The Insight Today mobile app now! Connect us WhatsApp channel The Insight Today