
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन: यह प्रक्रिया तब शुरू होती है जब राज्यपाल की रिपोर्ट से राष्ट्रपति संतुष्ट होते हैं कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार संचालित नहीं हो सकती।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन: सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद केंद्र का बड़ा फैसला
मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के रविवार को इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। माना जा रहा था कि बीजेपी सर्वसम्मति से नया सीएम उम्मीदवार तय नहीं कर पाई, जिसके चलते यह फैसला लिया गया।
बीजेपी क्यों थी राष्ट्रपति शासन के खिलाफ?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि बीजेपी मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने से बच रही थी, क्योंकि पार्टी सैद्धांतिक रूप से इसके खिलाफ रही है। हालांकि, मई 2023 से जारी हिंसा के चलते मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का समर्थन कमजोर पड़ गया था। पार्टी के भीतर भी कई नेताओं ने उनकी आलोचना की थी, जिससे हालात और जटिल हो गए।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन: सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद केंद्र का बड़ा फैसला
मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के रविवार को इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। माना जा रहा था कि बीजेपी सर्वसम्मति से नया सीएम उम्मीदवार तय नहीं कर पाई, जिसके चलते यह फैसला लिया गया।
बीजेपी क्यों थी राष्ट्रपति शासन के खिलाफ?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि बीजेपी मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने से बच रही थी, क्योंकि पार्टी सैद्धांतिक रूप से इसके खिलाफ रही है। हालांकि, मई 2023 से जारी हिंसा के चलते मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का समर्थन कमजोर पड़ गया था। पार्टी के भीतर भी कई नेताओं ने उनकी आलोचना की थी, जिससे हालात और जटिल हो गए।

कैसे लगाया जाता है राष्ट्रपति शासन?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है। जब राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजते हैं कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार काम करने में असमर्थ है, तब राष्ट्रपति इस अनुच्छेद का उपयोग कर सकते हैं।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद:
- राज्य सरकार के सभी कार्य केंद्र सरकार को हस्तांतरित हो जाते हैं।
- राज्य विधानमंडल के अधिकार संसद को मिल जाते हैं।
- न्यायपालिका (कोर्ट) की कार्यप्रणाली में कोई बदलाव नहीं होता।
यह प्रावधान आमतौर पर संवैधानिक संकट या कानून-व्यवस्था की गंभीर स्थिति में लागू किया जाता है।
राष्ट्रपति शासन कितनी अवधि तक लगाया जा सकता है?
जब राष्ट्रपति राज्यपाल की रिपोर्ट से संतुष्ट होते हैं कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार काम करने में असमर्थ है, तो वे अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा जारी करते हैं।
- शुरुआती अवधि: राष्ट्रपति शासन अधिकतम दो महीने तक लागू रह सकता है।
- विस्तार प्रक्रिया: इस अवधि को बढ़ाने के लिए संसद (लोकसभा और राज्यसभा) से मंजूरी लेनी होती है।
- अधिकतम अवधि: संसद की मंजूरी मिलने पर राष्ट्रपति शासन को 6-6 महीने के अंतराल में अधिकतम 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
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हालांकि, 44वें संविधान संशोधन (1978) के तहत, अगर राष्ट्रपति शासन को एक साल से ज्यादा बढ़ाना हो, तो इसके लिए राष्ट्रीय आपातकाल लागू होना चाहिए या चुनाव आयोग को यह प्रमाणित करना होगा कि राज्य में चुनाव कराना संभव नहीं है।
भारत में कितनी बार लगाया गया राष्ट्रपति शासन?
1950 में संविधान लागू होने के बाद से भारत में अब तक 134 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। यह 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विभिन्न परिस्थितियों में लागू किया गया है।
किन राज्यों में सबसे ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन लगा?
- मणिपुर और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 10-10 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
- हालांकि, यह वे राज्य नहीं हैं जहां सबसे लंबी अवधि तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा।
सबसे अधिक समय तक राष्ट्रपति शासन कहां रहा?
- जम्मू-कश्मीर – 12 साल (4,668 दिन)
- पंजाब – 10 साल (3,878 दिन)
- पुडुचेरी – 7 साल (2,739 दिन)
✅ जम्मू-कश्मीर और पंजाब में उग्रवाद, अलगाववादी गतिविधियों और कानून-व्यवस्था की गंभीर स्थिति के कारण लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन रहा।
✅ पुडुचेरी में आमतौर पर आंतरिक कलह और दलबदल के कारण विधानसभा में सरकारें गिरने के बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
मणिपुर से पहले, पुडुचेरी में 2021 में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, जब कांग्रेस सरकार विश्वास मत में विफल हो गई थी।
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