
भारत ने बनाई 8000 किमी रेंज वाली K-6 हाइपरसोनिक मिसाइल
K-6 भारत की पहली हाइपरसोनिक मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी से दागा जा सकता है। यह मिसाइल परमाणु शक्ति से लैस पनडुब्बियों से लॉन्च की जाएगी और लगभग 8000 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को सटीकता से भेदने में सक्षम होगी।
India’s Hypersonic Missile K-6: अमेरिका के टॉमहॉक हमले जैसा कदम उठाएगा भारत
इजरायल-ईरान युद्ध के दौरान जब अमेरिका ने ईरान के इस्फहान परमाणु संयंत्र पर बी-2 बॉम्बर और पनडुब्बी से दागी गई टॉमहॉक मिसाइलों से हमला किया, तो दुनियाभर में यह दिखा कि समुद्र की गहराइयों से भी हजारों किलोमीटर दूर हमला संभव है। इसी दिशा में अब भारत भी एक बड़ा और रणनीतिक कदम उठाने जा रहा है।
भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने देश की पहली हाइपरसोनिक पनडुब्बी-लॉन्च मिसाइल K-6 तैयार कर ली है। यह एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 8,000 किलोमीटर है। इसकी गति 7.5 मैक (करीब 9,200 किलोमीटर प्रति घंटा) है, जो इसे अत्यधिक तेज और घातक बनाती है।
हाल ही में DRDO द्वारा आयोजित एक सेमिनार में इस मिसाइल की क्षमताओं और तकनीकी विशेषताओं को प्रस्तुत किया गया। माना जा रहा है कि इसका परीक्षण जल्द ही किया जा सकता है। यह मिसाइल परमाणु शक्ति से लैस पनडुब्बियों से दागी जाएगी और भारत की सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी को और मजबूत बनाएगी।

भारत की तीसरी परमाणु पनडुब्बी जल्द जंगी बेड़े में शामिल हो सकती है, K-6 मिसाइल के लिए तैयारी पूरी
K-6 भारत की पहली हाइपरसोनिक सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है, जिसे भविष्य में तैयार की जाने वाली अत्याधुनिक परमाणु पनडुब्बियों से लॉन्च किया जाएगा। यह मिसाइल भारत की रणनीतिक शक्ति को नई ऊंचाई पर ले जाने की क्षमता रखती है।
फिलहाल भारतीय नौसेना के पास दो सक्रिय परमाणु पनडुब्बियां हैं—INS अरिहंत और INS अरिघात। इन पनडुब्बियों से भारत पहले ही K-15 (750 किमी रेंज), K-4 (3,500 किमी रेंज) और K-5 (5,000 किमी रेंज) जैसी स्ट्रेटेजिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागने में सक्षम है। ये सभी मिसाइलें K-6 की तरह सबमरीन लॉन्च सिस्टम का हिस्सा हैं और देश की सेकंड स्ट्राइक क्षमता को मजबूत करती हैं।
खास बात यह है कि इस वर्ष के अंत तक भारत की तीसरी परमाणु पनडुब्बी—INS अरिदमन—भी नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो सकती है। INS अरिदमन के शामिल होते ही भारत की पनडुब्बी से परमाणु हमला करने की ताकत और व्यापक हो जाएगी, जिससे K-6 जैसी अगली पीढ़ी की मिसाइलों के संचालन के लिए ठोस आधार तैयार हो जाएगा।
भारत ने पिछले साल रचा इतिहास, बनी थी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल
पिछले वर्ष नवंबर में भारत ने अपनी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर एक बड़ी सैन्य उपलब्धि हासिल की थी। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने ओडिशा तट से इस मिसाइल का सफल फ्लाइट ट्रायल किया था, जिसकी रेंज 1,500 किलोमीटर से भी अधिक थी।
इस सफलता के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों—जैसे रूस और चीन—के क्लब में शामिल हो गया, जिनके पास मैक-5 से मैक-25 (आवाज़ की गति से 5 से 25 गुना तेज़) की स्पीड वाली अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक है।
हाइपरसोनिक मिसाइलों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये इतनी तेज़ होती हैं कि इन्हें दुश्मन के रडार या एयर डिफेंस सिस्टम द्वारा ट्रैक और इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल हो जाता है। यह भारत की डिफेंस क्षमताओं में एक क्रांतिकारी बदलाव है, जो आने वाले वर्षों में हमारी रणनीतिक बढ़त को और मजबूत करेगा।

इजरायल-ईरान जंग में दिखी हाइपरसोनिक मिसाइल की विनाशक ताकत
मिडिल ईस्ट में जारी संकट के दौरान हाइपरसोनिक मिसाइलों की विनाशकारी क्षमता ने दुनिया को चौंका दिया। सबसे पहले यमन के हूती विद्रोहियों ने इजरायल पर हाइपरसोनिक मिसाइल दागकर सैन्य विशेषज्ञों को हैरान कर दिया था। इसके कुछ ही समय बाद इजरायल-ईरान युद्ध में भी इन मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ।
ईरान ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव और अन्य प्रमुख शहरों को निशाना बनाने के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलों का प्रयोग किया। इन मिसाइलों की बेहद तेज रफ्तार और अप्रत्याशित ट्रैजेक्टरी के चलते न तो इजरायल का अत्याधुनिक आयरन डोम सिस्टम, और न ही अमेरिका का THAAD (Terminal High Altitude Area Defense) सिस्टम इन्हें रोक पाने में सफल हो सका।
परिणामस्वरूप, इजरायल में भारी तबाही देखने को मिली और हाइपरसोनिक हथियारों की खतरनाक मारक क्षमता को दुनिया ने प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया। यह घटना वैश्विक सुरक्षा रणनीतियों में हाइपरसोनिक मिसाइलों को नए सिरे से परिभाषित करने की चेतावनी भी बन गई है।
रूस ने यूक्रेन पर हाइपरसोनिक मिसाइल किंझल का किया इस्तेमाल
रूस ने भी यूक्रेन के खिलाफ हाइपरसोनिक ‘किंझल’ मिसाइल का इस्तेमाल किया है. रूस ने मिग-31 फाइटर जेट से इस किंझल मिसाइल को लॉन्च किया था. हाल ही में अमेरिका ने भी हाइपरसोनिक मिसाइल ‘मैको’ बनाने का दावा किया था, जिन्हें लड़ाकू विमान से दागा जाएगा.
चीन के बेड़े में डीएफ-17 हाइपरसोनिक मिसाइल शामिल
चीन के पास ‘डीएफ-17’ हाइपरसोनिक मिसाइल है, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. इस मिसाइल की स्पीड मैक-5 से मैक-10 के बीच है. इसके अलावा चीन के जंगी बेड़े में ‘YJ-21’ एंटी शिप हाइपरसोनिक मिसाइल भी है.
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