
शेयर बाजार को वैसे तो जोखिम वाली जगह माना जाता है लेकिन निवेशक अपनी जानकारी और सावधानी के बूते यहां खूब मुनाफा भी कमाते हैं. इस बीच एनएसई पर ऐसा मामला सामने आया जहां एक ब्रोकर ने ऑर्डर प्लेस करते समय की-बोर्ड या माउस से गलत जगह क्लिक कर दिया और उसे सैकड़ों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा.
नई दिल्ली. कभी-कभी जरा सही चूक कितनी भारी पड़ सकती है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. ऐसे ही एक घटना बृहस्पतिवार को NSE पर ट्रेडिंग के दौरान सामने आई, जब ब्रोकर के एक गलत क्लिक से ही करीब 250 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, ब्रोकरेज की भाषा में इसे फैट फिंगर ट्रेडिंग कहते हैं, जहां कोई ब्रोकर ऑर्डर प्लेस करते समय गलती से की-बोर्ड की ऐसी बटन दबा देता है जो उसके पूरे सौदे को तबाह कर देती है. भारत में यह अब तक का सबसे बड़ा मामला है. अनुमान है कि इसमें ब्रोकर को 200-250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इससे पहले साल 2012 में ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल को भी इसी तरह के एक मामले में 60 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था.
कब और कैसे हुई यह चूक
बृहस्पतिवार दोपहर 2.37 से 2.39 बजे के बीच निफ्टी पर ऑप्शन ट्रेडिंग के समय एक ब्रोकर ने 25 हजार लॉट के लिए बोलियां लगाईं. इस समय प्रत्येक लॉट का बाजार भाव करीब 2,100 रुपये था लेकिन ब्रोकर ने गलती से 50 रुपये कम का भाव लगा दिया. बाजार के जानकारों का कहना है कि ऑर्डर प्लेस होते ही ब्रोकर को 200-250 करोड़ रुपये की चपत लग गई. कुछ बाजार विश्लेषकों का दावा है कि यह रकम किसी भी हाल में 250 करोड़ से कम नहीं है.
एक तरफ ऑर्डर प्लेस करने वाले ब्रोकर को इतना बड़ा नुकसान उठाना पड़ा तो दूसरी ओर इसी घटना ने कोलकाता के दो ब्रोकर को करोड़ों का फायदा पहुंचाया. बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, एक ब्रोकर को करीब 50 करोड़ का सीधा लाभ हुआ है, जबकि दूसरे को 25 करोड़ मिले हैं.
बीमा से होगी भरपाई
इस घटना के बारे में वैसे तो एनएसई की ओर से ऑफिशियली कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि चूंकि यह मामला दो ब्रोकर के बीच हुआ है और गलती से एक को नुकसान उठाना पड़ा तो इसकी भरपाई पहले से कराए बीमा के जरिये हो जाएगी. हालांकि, एक्सचेंज इस बात की चांज कर रहा है कि इस तरह की गलत ट्रेडिंग का ऑर्डर तकनीकी पकड़ से बचकर कैसे पूरा हो गया.
दरअसल, साल 2012 में जब पहली बार फैट फिंगर ट्रेडिंग का मामला सामने आया था तो सभी ब्रोकरेज हाउस ने ऐसी तकनीकी विकसित की थी जिसमें ऐसे गलत ट्रेड के ऑर्डर को पहचान कर स्वयं नष्ट कर दिया जाता था. एनएसई ने भी ऐसी तकनीक विकसित की थी जिसमें मार्केट प्राइस से कम पर कोई ऑर्डर होने पर उसकी पहचान कर ली जाती. लेकिन, इस मामले में एनएसई की यह तकनीक भी काम नहीं आई. INPUT: TOI