इंटरनेशनल टेक कंपनी एप्पल अपने आईफ़ोन की 16वीं सिरीज़ को नौ सितम्बर को लॉन्च करने जा रही है. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इस नई सिरीज़ में एप्पल ने कई तरह के नए फ़ीचर जोड़े हैं.
एप्पल के नए 16 सिरीज़ में चार मोबाइल लॉन्च किए जा सकते हैं, जिनमें आईफ़ोन 16, आईफ़ोन 16 प्लस, आईफ़ोन 16 प्रो और आईफ़ोन 16 प्रो मैक्स शामिल हो सकते हैं.
इस सिरीज़ से पहले एप्पल ने कई तरह के मोबाइल, लैपटॉप, स्मार्ट वॉच और अन्य गैजेट्स लॉन्च किए हैं, जो समय-समय पर ट्रेंड में रहे हैं.
दुनियाभर के बाज़ारों में आईफ़ोन की डिमांड बहुत ज़्यादा रही है. भारतीय बाज़ार में भी इंटरनेट की बढ़ती मांग और खपत के साथ स्मार्टफ़ोन का क्रेज़ बढ़ा है, जिसका साफ़ असर ये हुआ कि आईफ़ोन की डिमांड भी भारत में लगातार बढ़ रही है.
कैसे बना पहला आईफ़ोन?
साल 1976 में स्टीव जॉब्स और उनके बिज़नेस पार्टनर स्टीव वोज़्नियाक और रोनाल्ड वेन ने साथ मिलकर एप्पल कंपनी की स्थापना की.
एप्पल ने 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर (उस वक़्त के क़रीब 1414 करोड़ रुपये) के मार्केट वैल्यू के साथ साल 1980 में स्टॉक मार्केट में डेब्यू किया.
इसी साल नवंबर में स्टीव वोज़्नियाक और स्टीव जॉब्स के ओरिजनल एप्पल कंप्यूटर को अमेरिका में नीलामी में 4 लाख अमेरिकी डॉलर (उस वक़्त के क़रीब 31.4 लाख रुपये) में बेचा गया.
आईपॉड के ‘गॉडफ़ादर’ कहे जाने वाले टोनी फैडेल पहले आईफ़ोन बनने का क़िस्सा बीबीसी से शेयर करते हैं.
उन्हें ही ये आइडिया सूझा था कि आईपॉड को और बेहतर बनाया जा सकता है.
उन्होंने बीबीसी को बताया था कि पहले आईफ़ोन का प्रोटोटाइप उनसे गुम हो गया था.
वे हवाई यात्रा कर रहे थे लेकिन जब विमान से उतरकर उन्होंने जेब में हाथ डाला तो उनके होश उड़ गए. फ़ोन का प्रोटोटाइप ग़ायब था.
टोनी फैडेल सोच रहे थे कि वो स्टीव जॉब्स को क्या जवाब देंगे, हालांकि तब ये नहीं मालूम था कि आईफ़ोन इतना कामयाब प्रोडक्ट हो जाएगा.
हालांकि, जेब से जो प्रोटोटाइप गिर गया था वो प्लेन की दो सीटों के बीच मिला, जहां टोनी बैठे हुए थे.
ये वो समय था जब माइक्रोसॉफ़्ट जैसी कंपनियां पर्सनल कंप्यूटर को फ़ोन में समाहित करने की कोशिश कर रही थीं. जबकि एप्पल की कोशिश थी कि वो आईपॉड में और बेहतरी लाकर उसे फ़ोन की शक्ल दे.

उस समय एप्पल एक मैकिनटॉश कंप्यूटर पर काम कर रहा था. तब उस कंप्यूटर का साइज़ पिंग पॉंग के टेबल जितना था.
स्टीव ने टोनी से कहा कि वो चाहते हैं कि ये टचस्क्रीन आईपॉड पर आ जाए.
टोनी कहते हैं कि इसके लिए सैकड़ों लोग चाहिए थे लेकिन आख़िरकार हम वो करने में कामयाब रहे.
एप्पल के पास बेहतरीन लोग थे लेकिन फ़ोन बनाने का हुनर तब तक उनके पास नहीं था इसलिए टोनी ने दुनिया के बेहतरीन एक्सपर्ट से मिलने की सोची.
लेकिन स्वीडन के एक रेस्तरां से जब वो किसी दूसरी टीम के साथ रात का भोजन करके वापस आए तो पाया कि उनका सारा सामान ग़ायब हो चुका था.
वो कहते हैं कि ‘हम जानते थे कि ये किसी प्रतिद्वंदी कंपनी ने करवाया था.’
साथ ही इस बात पर भी बहस शुरू हो गई थी कि फ़ोन में कीबोर्ड रखा जाए या नहीं. इसको लेकर टीम के भीतर भारी तनाव पैदा हो गया.
स्टीव चाहते थे कि आईफ़ोन में टचस्क्रीन रहे, लेकिन बाक़ी टीम इसके ख़िलाफ़ थी. आख़िरकार एक दिन झल्लाहट में स्टीव जॉब्स ने साफ़ कहा- ‘जो टचस्क्रीन के ख़िलाफ़ हैं वो टीम से बाहर चले जाएं.’
स्टाइल पर भी मतभेद थे, हालांकि टीम इस पर स्टीव से छिपकर काम करती रही.
साल 2007 में सैन फ्रांसिस्को में हुए एनुअल मैकवर्ल्ड एक्सपो में एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स ने जब पहला आईफ़ोन लॉन्च किया, तब उसकी बड़ी हंसी उड़ाई गई.
हालांकि, वर्तमान में यह कंपनी दुनिया में सबसे अमीर कंपनियों में शामिल हो चुकी है. और आईफ़ोन यूज़र्स की संख्या लगातार बढ़ रही है.
एप्पल के पहले आईफ़ोन में टचस्क्रीन, वाइडस्क्रीन आईपॉड, मोबाइल फोन और इंटरनेट ब्राउज़र जैसे फीचर शामिल थे.
सीएनएन के मुताबिक़ लॉन्चिंग के समय स्टीव जॉब्स ने कहा था, “मैं इस दिन का इंतज़ार पिछले ढाई सालों से कर रहा था.”
पहले आईफ़ोन की क़ीमत 399 अमेरिकी डॉलर (उस वक़्त के क़रीब 16500 रुपये) रखी गई.
इस आईफ़ोन में 16 जीबी मेमोरी, 3.5 इंच की टचस्क्रीन और 2 मेगापिक्सल का कैमरा जैसे फ़ीचर्स शामिल थे.
स्टीव जॉब्स को आईफ़ोन बनाने का आइडिया कहां से आया
साल 2010 में डी8 कॉन्फ्रेंस में दिए एक इंटरव्यू के दौरान स्टीव जॉब्स ने बताया था कि वो एक टैबलेट बनाने के प्लान पर काम कर रहे थे. उन्हें यह आइडिया सूझा था कि कीबोर्ड से कैसे छुटकारा पाया जाए और किसी मल्टीटच ग्लास डिस्प्ले पर टाइप किया जाए.
इसके लिए उन्होंने अपने टीम से बात की कि ‘क्या हम एक मल्टीटच डिस्प्ले बना सकते हैं, जिससे हम अपने हाथ को टाइपिंग से राहत दे सकें.’
स्टीव जॉब्स ने इंटरव्यू में बताया था, “मल्टीटच डिस्प्ले के लिए क़रीब छह महीने बाद मेरी टीम ने मुझे कॉल किया और उन्होंने मुझे एक प्रोटोटाइप डिस्प्ले दिखाया.”
“मैंने इसे अपने एक बेहतरीन यूआई साथी को दिया. उसने मुझे कुछ हफ्तों के बाद कॉल किया. जब मैंने उसे रबरबैंड और कुछ दूसरी चीज़ों पर स्क्रोल करते देखा, तब मुझे ख़्याल आया कि हम टैबलेट की जगह फ़ोन बना सकते हैं.”
उन्होंने बताया, “इसके बाद मैंने टैबलेट प्रोजेक्ट को किनारे कर दिया, क्योंकि फ़ोन ज़्यादा ज़रूरी था. इसके बाद हमने अगले कुछ साल आईफ़ोन को दिए.”
“जब हमें लगा कि अब हम किसी दूसरे प्रोजेक्ट पर काम कर सकते हैं तब फिर से टैबलेट प्रोजेक्ट का काम शुरू किया गया.”
अब तक कौन-कौन से आईफ़ोन मॉडल आ चुके हैं?
एप्पल ने अब तक कुल 25 तरह के आईफ़ोन मॉडल या सिरीज़ लॉन्च की है.
2024 में आईफ़ोन 16 सीरीज़
2007 में पहला आईफ़ोन
2008 में आईफ़ोन 3जी
2009 में आईफ़ोन 3जीएस
2010 में आईफ़ोन 4
2011 में आईफ़ोन 4एस
2012 में आईफ़ोन 5
2013 में आईफ़ोन 5एस
2013 में आईफ़ोन 5सी
2014 में आईफ़ोन 6 और 6 प्लस
2015 में आईफ़ोन 6एस और 6एस प्लस
2016 में आईफ़ोन एसई
2016 में आईफ़ोन 7 और 7 प्लस
2017 में आईफ़ोन 8 और 8 प्लस
2017 में आईफ़ोन एक्स
2018 में आईफ़ोन एक्स एस और एक्स एस मैक्स
2018 में आईफ़ोन एक्स आर
2019 में आईफ़ोन 11 सीरीज़
2020 में आईफ़ोन एसई
2020 में आईफ़ोन 12 मिनी
2020 में आईफ़ोन 12 सीरीज़
2021 में आईफ़ोन 13 सीरीज़
2022 में आईफ़ोन एसई थर्ड जेन
2022 में आईफ़ोन 14 सीरीज़
2023 में आईफ़ोन 15 सीरीज़
आईफ़ोन के अलावा एप्पल और क्या-क्या बनाता है?
एप्पल की शुरुआत कंप्यूटर बनाने के साथ हुई थी. कंपनी ने अपना पहला लैपटॉप साल 1991 में लॉन्च किया. इसके बाद कंपनी ने अपना पहला मैकबुक साल 2006 में लॉन्च किया.
इसके अलावा एप्पल आईपैड, आईफ़ोन, स्मार्टवॉच, एयरपॉड, विज़न और इन डिवाइस से जुड़े एक्सेसरीज़ बनाता है.
एप्पल ने अपने पहले आईपैड की लॉन्चिंग साल 2010 में, स्मार्टवॉच की लॉन्चिंग 2015 में, एयरपॉड्स की लॉन्चिंग 2016 में और विज़न की लॉन्चिंग 2024 में की.
क्यों सुरक्षित माना जाता है आईफ़ोन ?
स्मार्टफ़ोन की दुनिया में आईफ़ोन को सबसे ज़्यादा सुरक्षित माना जाता है. इसके कई कारण हैं.
कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक़ आईफ़ोन में ‘सिक्योरिटी चेक’ जैसे फ़ीचर शामिल हैं, जो प्रयोगकर्ता की निजी जानकारी शेयर होने से रोकता है.
हालांकि, यह फ़ीचर आईफ़ोन के ऑपरेटिंग सिस्टम आईओएस 16 या उसके बाद के संस्करण पर चलने वाले आईफ़ोन पर ही उपलब्ध है.
‘सेक्योरिटी चेक’ के तहत आईफ़ोन में कुछ ऐसे ऐप्स मौजूद हैं जो निजी जानकारी शाझा होने से बचाते हैं.
आईफ़ोन में ‘सेक्योरिटी चेक’ फीचर का उपयोग करने के लिए प्रयोगकर्ता के पास एप्पल आईडी होनी चाहिए, जो टू-फ़ैक्टर ऑथेंटिफ़िकेशन का इस्तेमाल करती हो.
आईफ़ोन के चोरी होने या खो जाने की स्थिति में आईफ़ोन में एक ख़ास फीचर है, जो प्रयोगकर्ता की जानकारी गुप्त बनाए रखता है.
इसके अलावा मोबाइल में हैकिंग वायरस या साइबर अटैक से सुरक्षा के लिए भी फ़ीचर उपलब्ध हैं, जो आईफ़ोन को और भी सुरक्षित बनाते हैं.
इसका एक जीता जागता उदाहरण बीते साल प्रकाश में आया पेगासस सॉफ़्टवेयर से जुड़ा मामला है. इस दौरान भारत के कई राजनेताओं के आईफ़ोन में सुरक्षा से जुड़ा एक अलर्ट आया.
आईफ़ोन से जुड़े कुछ रिकॉर्ड्स
आईफ़ोन को लेकर यूज़र्स में अलग ही तरह का क्रेज़ देखने को मिलता है. जिसकी वजह से कई बार यूज़र्स काफ़ी ज़्यादा कीमत चुकाकर भी आईफ़ोन लेना पसंद करते हैं.
पिछले साल (2023) में एक ऐसा ही मामला सामने आया जब एक शख़्स ने आईफ़ोन के पहले मॉडल (2007 मॉडल) को ख़रीदने के लिए 190372 अमेरिकी डॉलर (एक करोड़ 52 लाख रुपये) चुकाए.
इस आईफ़ोन की ख़ासियत यह थी कि यह आईफ़ोन का पहला 4जीबी मॉडल था.
भारत में आईफ़ोन या एप्पल के प्रोडक्ट्स की मांग लगातार बढ़ रही है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में एप्पल का सालाना मार्केट 8 बिलियन डॉलर (67,166 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है. भारत में एप्पल की ख़रीदारी में 33 फ़ीसद का उछाल देखने को मिला है.
हाल ही में ब्रिटेन के एक यूट्यूबर ने दुनिया का सबसे लंबा आईफ़ोन रेप्लिका बनाकर गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है. इस आईफ़ोन की ऊंचाई 6.74 फीट है.
भारतीय मूल के यूट्यूबर अरुण रूपेश मैनी ने ‘आईफ़ोन 15 प्रो मैक्स’ मॉडल का रेप्लिका बनाया है.
आईफ़ोन से जुड़े वो पांच सवाल जो सबसे ज़्यादा पूछे जाते हैं
1. आईफ़ोन के नए मॉडल की क़ीमत
2. आईफ़ोन के नए फ़ीचर के बारे में
3. आईफ़ोन का कैमरा कितना अच्छा है?
4. क्या आईफ़ोन पूरी तरह से सेफ़ है?
5. आईफ़ोन में फे़स आईडी कितने अच्छे तरीके़ से काम करती है?
Source: BBC
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