धनबाद में हुई आगजनी की घटना के बाद रांची में भी फायर सेफ्टी की ऑडिट हाेगी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने बहुमंजिले भवन, होटल-हाॅस्पिटल व स्कूल-कॉलेजाें में फायर सेफ्टी की जांच का आदेश दिया है। इसके लिए नगर निगम, प्रशासन और अग्निशमन विभाग के पदाधिकारियों की कुल पांच टीमें बनाई गई हैं। हर टीम में चार-चार लाेग रखे गए हैं। सभी टीम काे अगले छह माह के अंदर पहले फेज में 500 बहुमंजिले भवन, स्कूल-कॉलेज, होटल-हॉस्पिटल की जांच करनी है।
इन भवनों में अग्नि सुरक्षा के उपाय हैं या नहीं, जहां उपाय किए गए हैं, वे कार्यशील हैं या नहीं, कितने उपकरण खराब हैं, आग लगने की स्थिति में वहां से निकलने के क्या-क्या साधन है, इसकी जांच हाेगी। इसके अलावा संबंधित भवनों के नक्शे पास हैं या नहीं, नक्शे स्वीकृत हैं ताे नक्शे में विचलन किया गया है या नहीं, इन बिंदुओं पर जांच की जाएगी। नक्शा स्वीकृत नहीं हाेगा ताे ऐसे भवन मालिक या संस्था पर अवैध निर्माण का केस भी दर्ज किया जाएगा। भवनाें की जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट हाईकोर्ट काे साैंपी जाएगी। इसके बाद दूसरे फेज की जांच शुरू हाेगी।
1- 3 हजार से अधिक भवन, 50 फीसदी में भी सेफ्टी नहीं
शहर में 3 हजार से अधिक बहुमंजिले भवनों के नक्शे आरआरडीए व नगर निगम से स्वीकृत हैं। इनमें 50 प्रतिशत भवनाें में भी फायर सेफ्टी की व्यवस्था नहीं है। बड़े बहुमंजिले भवन और मॉल में फायर सेफ्टी के लिए उपकरण लगाए गए हैं, लेकिन गली-मुहल्लों में बने चार-पांच तल्लों के अपार्टमेंट में आग से सुरक्षा की काेई व्यवस्था नहीं है।
दर्जनों निजी हॉस्पिटल में फायर टेंडर के मूवमेंट की व्यवस्था नहीं है। स्कूल-काॅलेजाें की भी ऐसी ही स्थिति है। हाल के दिनाें में शहर में रूट टाॅप रेस्टोरेंट और दूसरे-तीसरे मंजिल पर प्ले स्कूल खाेलने की परिपाटी शुरू हाे गई है। यह काफी खतरनाक है।
2. अपर बाजार में बिल्डराें ने बेसमेंट में भी दुकानें बनाईं
शहर के बीच में स्थित अपर बाजार की स्थिति सबसे भयावह है। घनी आबादी के बीच 10 से 15 फीट की सड़क पर खुली दुकानों में किसी तरह की अप्रिय घटना होती है ताे उसे संभालना मुश्किल हाेगा, क्याेंकि सुबह 9 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच इस बाजार से कार गुजरना भी मुश्किल हाेता है।
दर्जनों बिल्डिंग ऐसी हैं कि बिल्डरों ने बेसमेंट में भी दुकानें बनाकर बेच दी हैं। इसमें न ताे पार्किंग की व्यवस्था है और न आग से सुरक्षा के उपाय। इस मामले में भी हाईकोर्ट ने जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है, लेकिन फिलहाल इस मामले पर नगर निगम काेई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
3- नगर निगम-फायर डिपार्टमेंट की लापरवाही से हुई मनमानी
नगर निगम द्वारा भवन का नक्शा स्वीकृत करने से पहले फायर डिपार्टमेंट का एनओसी मांगा जाता है। बिल्डरों और हॉस्पिटल प्रबंधकों द्वारा एनओसी के लिए चढ़ावा चढ़ाकर एनओसी ले लिया जाता है।
बिल्डिंग बनने के बाद नक्शा के अनुरूप निर्माण हुआ है या नहीं और वहां अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था की गई है या नहीं, इसकी जांच नहीं हाेती। इस वजह से बिल्डर या भवन मालिक अग्नि सुरक्षा के इंतजाम पर खर्च हाेने वाली राशि बचा लेता है। इससे खतरा और बढ़ गया है।
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Source : दैनिक भास्कर
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