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क्या ‘लैंड ऑफ इंडस्ट्री’ बन पाएगा बिहार, इन्वेस्टर्स समिट का इस राज्य की अर्थव्यवस्था पर कितना पड़ेगा असर?

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हाल ही में पटना में हुए दो दिवसीय निवेशक शिखर सम्मेलन में लगभग 300 कंपनियों ने 50,530 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए बिहार सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. 

देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक के बाद एक कई बड़े फैसले लेकर न सिर्फ जनता बल्कि विपक्षी पार्टियों को भी चौंका दिया है. 

इस राज्य में एक मुद्दा ऐसा भी है जिसकी जनता के बीच सबसे ज्यादा मांग है और वह मुद्दा है रोजगार का. हर साल इस प्रदेश से लाखों लोग रोजगार की तलाश में पलायन कर अपने घर-परिवार से दूर हो जाते हैं. अब जनता की इस मांग को पूरा करने के लिए ‘इन्वेस्ट बिहार’ को थीम बनाकर राज्य सरकार ने कई तरह के दावे किए हैं. 

नीतीश सरकार के मुताबिक उसका मकसद ‘लैंड ऑफ हिस्ट्री’ रहे बिहार को प्राइवेट सेक्टर की मदद से ‘लैंड ऑफ़ इंडस्ट्री’ बनाना है यानी सरकार बिहार में औद्योगिक विकास पर जोर देने का दावा कर रही है.

इसी क्रम में 14 और 15 दिसंबर, 2023 को राजधानी पटना में दो दिवसीय निवेशक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में लगभग 300 कंपनियों ने 50,530 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए राज्य सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. 

इन 300 कंपनियों में अडानी इंडस्ट्रीज भी शामिल है. यह बिहार में लॉजिस्टिक्स, सीमेंट, खाद्य प्रसंस्करण और अन्य क्षेत्रों में 8,700 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब अडानी इंडस्ट्रीज बिहार में निवेश कर रही है. इससे पहले इसी कंपनी द्वारा 850 करोड़ रुपये का भी निवेश किया जा चुका है. अडानी के अलावा इन 300 कंपनियों में भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पटेल एग्री इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, होल्टेक इंटरनेशनल इंक, इंडो यूरोपियन हार्ट हॉस्पिटल्स और रिसर्च इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड का नाम भी शामिल हैं.  

ऐसे में इस रिपोर्ट में जानते हैं कि बिहार में हुए निवेशक शिखर सम्मेलन का इस राज्य की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा, क्या इससे वाकई लोगों को रोजगार मिलेगा या फिर क्या इस सम्मेलन के जरिए लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार की ब्रांडिग की जा रही है..

कंपनियों के निवेश बिहार में बढ़ेगा रोजगार 

अडानी इंटरप्राइजेज के निदेशक प्रणव अडानी ने गुरुवार को इस सम्मेलन के बाद कहा कि इस राज्य में अडानी ग्रुप पहले ही 850 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है. इस निवेश ने बिहार के लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर तीन हजार से ज्यादा रोजगार भी दिए है.

उन्होंने आगे कहा कि, “अब बिहार में हमारा ग्रुप अपने निवेश को दस गुना ज्यादा बढ़ा रहा है. इससे लगभग 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है.  

क्या वाकई बिहार में इन कंपनियों का हो सकता है विकास

बीबीसी की एक रिपोर्ट में बिहार के उद्योग मंत्री समीर कुमार कहते हैं कि निवेशक शिखर सम्मेलन में इस बार अलग-अलग कार्यक्रमों में 800 से ज्यादा लोगों ने दिलचस्पी दिखाई है. खास बात ये है कि उन्हें बिहार के लोगों पर भरोसा है इसलिए उन्होंने ये निवेश किए है क्योंकि कोई भी कंपनी घाटे का कारोबार करने कहीं नहीं जाती है. 

इस इन्वेस्टमेंट से राज्य की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा 

पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट और ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के संस्थापक व सीईओ पंकज मठपाल ने एबीपी से बातचीत में कहा, ‘बिहार के निजी सेक्टर में निवेश से राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में मदद मिलेगी और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने में सहयोगात्मक प्रयास भी होंगे. ज्यादा नौकरियां और घरेलू आय बढ़ने से उपभोग में वृद्धि होगी. इससे कई क्षेत्रों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होगा. 

पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विकास झा ने एबीपी से बात करते हुए इस सवाल के जवाब में कहा, बिहार के पास लगभग 13 करोड़ की आबादी है और यही आबादी इस राज्य का सबसे बड़ा संसाधन भी हैं. आंकड़ों की मानें तो इन 13 करोड़ आबादी में से लगभग 53 प्रतिशत आबादी की उम्र 35 साल से कम है. खास बात ये है कि बिहार में सस्ते कामगार भी आसानी से मिल जाएंगे. अन्य राज्यों की तरह यहां पानी की भी कोई कमी नहीं है. यानी एक उद्योग को खड़ा करने के लिए जो कुछ चाहिए, वह सब इस राज्य में मिलेगा. 

इसके अलावा बिहार के पड़ोस में तीन देश है नेपाल, बांग्लादेश और भूटान, इन तीनों देशों को मिला दें तो इस राज्य के आसपास लगभग 40 करोड़ की आबादी बसती है जो औद्योगिक उत्पादन के लिए एक बड़ा बाजार मुहैया कराती है.

इसे उदाहरण से समझिए, बिहार में 99 प्रतिशत दवाइयां किसी दूसरे राज्यों से मंगाई जाती हैं और इस राज्य में हर साल लगभग 2500 करोड़ रुपये की दवाओं की खपत है. यानी अगर बिहार में दवा उद्योग स्थापित किया जाता है तो रोजगार के साथ साथ प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा बूस्ट मिलेगा. ये तो सिर्फ एक उदाहरण है, ऐसे ही इस राज्य में सरकार चमड़ा उद्योग, कपड़ा उद्योग, फूड पार्क और आईटी सेक्टर की भी अपार संभावना देखती है.

बिहार में उद्योग स्थापित करना कितना मुश्किल

बीबीसी की एक रिपोर्ट में पटना के एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर विद्यार्थी विकास कहते हैं, ‘ हां यह सच है कि बिहार में उद्योग खड़ा करने के लिए सब कुछ उपलब्ध है. लेकिन सब कुछ होना भी कई बार काफी नहीं होता है.  इस राज्य में सबसे ज्यादा जरूरत है ‘वर्क कल्चर’ बनाने की है. साथ ही यहां के क़ानून और व्यवस्था को और दुरुस्त करना होगा. इस राज्य में अब भी सड़क पर अपराध होते रहते हैं. 

बिहार में किसी भी इंडस्ट्री को खड़ा करने के लिए कच्चे माल के केंद्र यानी गांव के लेवल से लेकर शहर तक की सारी व्यवस्था ठीक करनी पड़ेगी. क्राइम और चोरी भी बिहार में किसी भी उद्योग के लिए बड़ी बाधा साबित हो सकती है. हाल ही में हमने सुना था कि यहां सड़क के छड़ो की चोरी हो गई थी. दो दिन पहले ही एक खबर आई की बिजली की तोड़ का फाइबर चोरी कर लिया. ऐसी चोरियां भले ही सुनने में मजाक लगता हो लेकिन इसमें लाखों का सामान गायब हो जाता है. 

सड़क हादसों के मामलों में बिहार कहीं पीछे नहीं है. एनसीआरबी के मुताबिक धार्मिक स्थलों के पास सड़क हादसे के मामलों में बिहार का स्थान सबसे ऊपर है. यानी यह आंकड़ा राज्य में सड़कों की हालत और ट्रैफिक की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है.

खरीददारी के लिए पैसे नहीं 

विकास झा कहते हैं कि बिहार में कंपनियों के लिए भले ही एक बड़ा बाजार मौजूद है लेकिन इन सामानों को खरीदने वाले भी तो चाहिए. यहां लोगों के पास पैसे यानी क्रय शक्ति होना जरूरी है. 

साल 2021-22 में भारत सरकार की तरफ से जो आंकड़े जारी किए गए है उसके मुताबिक स्थिर मूल्य पर बिहार का प्रति व्यक्ति आय 30,779 रुपये है. जबकि बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड का प्रति व्यक्ति आय 55,126 रुपये, यूपी का प्रति व्यक्ति आय 42,525 रुपये है और मध्य प्रदेश का 61,534 रुपये है. यानी बिहार प्रति व्यक्ति आय के मामले में अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे है. 

बिहार के विकास के लिए प्रमुख आवश्यकता-

उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ के अनुसार, बिहार को तेज विकास के लिए तीन चीजों की जरूरत है-

  • नेपाल में बारिश से बिहार में काफी तबाही होती है. अगर पड़ोसी देश नेपाल के साथ जल प्रबंधन पर समझौता हो जाता है तो बिहार को बाढ़ से बचाया जा सकता है.
  • अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे दिया जाता है, तो यहां के औद्योगिक विकास में तेजी आएगी.
  • अगर बिहार को विशेष आर्थिक क्षेत्र में शामिल किया जाता है, तो इसका आर्थिक विकास बढ़ेगा.     

source by: abp News

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