नई दिल्ली:
बिहार में छात्र आक्रोशित हैं। कड़ाके की ठंड के बावजूद युवा सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा, जो 13 दिसंबर 2024 को आयोजित हुई थी, को रद्द करने की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा कई बार लाठीचार्ज किया गया है। कई राजनीतिक दल भी छात्रों के समर्थन में आ गए हैं। आइए जानें, क्या है पूरा विवाद और क्यों छात्र आंदोलन कर रहे हैं।
छात्र क्यों कर रहे हैं आंदोलन?
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा, जो 13 दिसंबर 2024 को आयोजित हुई थी, विवादों के घेरे में है। पटना के बापू सभागार में आयोजित परीक्षा के दौरान प्रश्न पत्र वितरण में देरी और पेपर लीक के आरोप लगाए गए हैं, जिसके चलते परीक्षार्थियों ने जमकर हंगामा किया और सड़कों पर प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा में अनियमितताएं हुईं, प्रश्न पत्र गुणवत्ता हीन थे, और कई प्रश्न निजी कोचिंग संस्थानों के मॉडल प्रश्न पत्रों से मिलते-जुलते थे। वे पूरी परीक्षा को रद्द कर पुनः आयोजित करने की मांग कर रहे हैं।
बिहार में BPSC का पूरा विवाद: छात्र क्यों कर रहे हैं हंगामा? यहां जानिए सबकुछ
नई दिल्ली:
बिहार में छात्र आक्रोशित हैं। कड़ाके की ठंड के बीच युवा सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा, जो 13 दिसंबर 2024 को आयोजित हुई थी, उसे रद्द करने की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। पुलिस द्वारा छात्रों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कई बार लाठीचार्ज किया गया है। कई राजनीतिक दल भी छात्रों के समर्थन में आ गए हैं। आइए जानते हैं, क्या है पूरा विवाद और क्यों छात्र आंदोलन कर रहे हैं।
छात्र क्यों कर रहे हैं आंदोलन?
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा, जो 13 दिसंबर 2024 को आयोजित हुई थी, के खिलाफ विवाद बढ़ता जा रहा है। पटना के बापू सभागार में आयोजित परीक्षा में प्रश्न पत्र वितरण में देरी और पेपर लीक के आरोपों के चलते परीक्षार्थियों ने जमकर हंगामा किया और सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा में अनियमितताएं हुई हैं, प्रश्न पत्र स्तरहीन थे, और कुछ प्रश्न निजी कोचिंग संस्थानों के मॉडल प्रश्न पत्रों से मेल खाते थे। वे पूरी परीक्षा को रद्द कर पुनः आयोजित करने की मांग कर रहे हैं।
छात्रों की प्रमुख मांग क्या है?
छात्र पूरी परीक्षा को रद्द कर फिर से परीक्षा आयोजित करने की मांग कर रहे हैं। परीक्षा की नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और इसका गणितीय मॉडल सार्वजनिक करने की मांग है। पेपर लीक के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की मांग छात्रों की रही है।

पूरे मामले पर बीपीएससी का क्या कहना है?
बीपीएससी ने छात्रों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि परीक्षा पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष थी। उन्होंने छात्रों से मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुटने की अपील की है। वहीं, राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी के पास अनियमितताओं के ठोस सबूत हैं, तो उन्हें प्रस्तुत किया जाए; सरकार उचित कार्रवाई करेगी।
विवाद के कारण और भी हैं
कई छात्र प्रारंभिक परीक्षा से पहले ही आंदोलन कर रहे हैं। छात्र नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि बीपीएससी ने नॉर्मलाइजेशन का सही तरीके से उपयोग नहीं किया, जिससे कम कठिनाई वाले शिफ्ट में शामिल छात्रों को अनुचित लाभ मिला और कठिन शिफ्ट में शामिल छात्रों को नुकसान उठाना पड़ा है। नॉर्मलाइजेशन के कारण कट-ऑफ मार्क्स पर भी प्रभाव पड़ा है, जिससे कई उम्मीदवार नाराज हैं। उन्होंने दावा किया कि इस प्रक्रिया से उनका चयन प्रभावित हुआ, जबकि उनकी मेहनत और प्रदर्शन बेहतर था।
परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन क्या होता है?
नॉर्मलाइजेशन एक सांख्यिकीय प्रक्रिया है, जिसका उपयोग ऐसी परीक्षाओं में किया जाता है जो अलग-अलग शिफ्टों में आयोजित होती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विभिन्न शिफ्टों के प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर में संभावित भिन्नताओं के कारण किसी भी उम्मीदवार के साथ अन्याय न हो।
नॉर्मलाइजेशन के क्या फायदे हैं?
समान अवसर प्रदान करना: जब किसी शिफ्ट का पेपर कठिन और किसी का आसान होता है, तो नॉर्मलाइजेशन उस कठिनाई के अंतर को संतुलित करने में मदद करता है।
निष्पक्षता बनाए रखना: यह प्रक्रिया सभी उम्मीदवारों के प्रदर्शन की निष्पक्ष तुलना सुनिश्चित करती है, चाहे वे किसी भी शिफ्ट में परीक्षा में शामिल हों।
नॉर्मलाइजेशन के नुकसान क्या हैं? क्यों होता है विवाद
नॉर्मलाइजेशन का मुख्य उद्देश्य निष्पक्षता सुनिश्चित करना होता है। हालांकि, कई बार इसमें सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता, जिससे विवाद उत्पन्न हो जाता है। कठिनाई का सही आकलन कई बार अधूरा या गलत हो जाता है। नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में केवल सांख्यिकीय डेटा पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जबकि छात्रों की व्यक्तिगत मेहनत, परीक्षा के दिन की स्थिति जैसे अन्य महत्वपूर्ण कारकों को नजरअंदाज किया जाता है। इस वजह से उन छात्रों को नुकसान उठाना पड़ता है, जिनका वास्तविक प्रदर्शन अच्छा होता है, लेकिन उनके शिफ्ट का औसत स्कोर अधिक होने के कारण, उनका नॉर्मलाइज्ड स्कोर कम हो जाता है, जिससे उनकी परेशानी बढ़ जाती है।
छात्रों को किसका मिल रहा है साथ?
परीक्षा में शामिल हुए छात्रों के अलावा अन्य छात्र भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रहे हैं। परीक्षार्थियों का कहना है कि यह प्रक्रिया उनके मेहनत और प्रदर्शन के साथ अन्याय कर रही है। कई छात्र संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर आंदोलन शुरू किया है। संगठनों जैसे एआईएसए (AISA), एबीवीपी (ABVP) और अन्य छात्र संगठन इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा, कई विपक्षी दलों ने भी छात्रों के समर्थन में आवाज उठाई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जन सुराज ने छात्र आंदोलन का समर्थन किया है। कुछ शैक्षणिक विशेषज्ञ और कोचिंग संस्थान भी इस विवाद में छात्रों के पक्ष में आए हैं। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर व्यापक आंदोलन हो रहा है।
रविवार को क्या हुआ?
रविवार शाम को छात्र अपनी मांगों को लेकर जेपी गोलंबर चौक पर प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को वहां से हटाने के लिए लाठीचार्ज किया और फिर उन पर वाटर कैनन से पानी की बौछार भी की। कुछ समय पहले तक छात्रों की बड़ी भीड़ अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही थी। प्रदर्शनकारी छात्रों ने रविवार शाम को गांधी मैदान से सीएम आवास तक मार्च निकाला, जिसे पुलिस ने जेपी गोलंबर पर रोक दिया। पुलिस ने लाठीचार्ज के बाद प्रशांत किशोर सहित प्रदर्शन कर रहे 21 छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
चीफ सेक्रेटरी ने छात्रों से बातचीत की पहल की
बिहार के चीफ सेक्रेटरी ने पांच छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल को मुलाकात के लिए बुलाया है। छात्रों ने कहा कि अगर बातचीत में कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकलता, तो वे कल तय करेंगे कि अब आगे की रणनीति कैसी होनी चाहिए। आपको बता दें कि गांधी मैदान से सीएम आवास तक मार्च निकाल रहे छात्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करना चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिलहाल दिल्ली में हैं। इसी कारण, चीफ सेक्रेटरी ने इन छात्रों को मिलने के लिए बुलाया है।
जन सुराज के प्रशांत किशोर सहित कई अन्य पर केस दर्ज
जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती सहित 21 लोगों के खिलाफ पटना के गांधी मैदान थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन पर छात्रों को भड़काने और हंगामा कराने का आरोप है। प्राथमिकी में 21 नामजद और 600 से 700 अज्ञात व्यक्तियों को भी आरोपी बनाया गया है।
अधिकारियों के मुताबिक, “प्रदर्शनकारियों ने बिना अनुमति के जेपी गोलंबर तक जुलूस निकाला और सड़क जाम कर दिया। वहां तैनात दंडाधिकारी और पुलिस अधिकारियों के साथ धक्का-मुक्की की गई। इन लोगों ने प्रशासन द्वारा लगाए गए लाउडस्पीकर को भी क्षतिग्रस्त किया। बार-बार अनुरोध करने के बावजूद, इन लोगों ने प्रशासन के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर लोक व्यवस्था को बाधित किया।
कहा गया कि जन सुराज के नेता जब भीड़ बेकाबू हो गई, तो जेपी गोलंबर के पास से चले गए। प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सचिव को ज्ञापन देने के लिए पांच लोगों का प्रतिनिधिमंडल भेजने का प्रस्ताव किया, लेकिन आपसी सहमति नहीं बनने के कारण प्रतिनिधिमंडल का कोई नाम नहीं दिया गया। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पहले वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया और हल्के बल का प्रयोग करके उन्हें हटा दिया गया, जिससे स्थिति सामान्य हो गई।
Source: Ndtv India
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