सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी। अब इसे केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में संसद में पेश कर सकती है।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने एक देश-एक चुनाव पर सिफारिशें देने के लिए 191 दिनों में अपनी रिपोर्ट तैयार की है। समिति ने भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर अपनी रिपोर्ट देने से पहले दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, बेल्जियम, जर्मनी, जापान, इंडोनेशिया और फिलीपींस में चुनाव प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। इन देशों में एक साथ चुनाव होते हैं।
कैसे हुई शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस पर एक देश, एक चुनाव के अपने विचार पेश किए थे। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा जारी रहनी चाहिए। 2024 में भी स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर अपने विचार रखे।
रामनाथ कोविंद समिति ने इस साल मार्च में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी। ‘एक देश, एक चुनाव’ पर बनी कोविंद समिति की रिपोर्ट को 18 सितंबर को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई थी।
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी। अब केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में सदन में पेश कर सकती है।

मार्च में रिपोर्ट राष्ट्रपति मुर्मू को सौंपी
रामनाथ कोविंद समिति ने इस साल मार्च में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी। सितंबर में सरकार ने समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी थी।
समिति की अहम सिफारिशें
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एक साथ चुनाव को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। दूसरे चरण में आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और नगर पालिका) होंगे। इसके लिए सभी चुनावों के लिए समान मतदाता सूची तैयार की जाएगी। इसके लिए पूरे देश में व्यापक चर्चा शुरू की जाएगी और एक कार्यान्वयन समूह का गठन किया जाएगा। बताया जा रहा है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ के लिए संविधान में संशोधन और नए सम्मिलनों की संख्या 18 होगी।
दक्षिण अफ्रीका का उदाहरण सबसे सटीक
रिपोर्ट के अनुसार, एक साथ चुनाव पर सिफारिश करने से पहले समिति ने अन्य देशों का तुलनात्मक विश्लेषण किया। दक्षिण अफ्रीका में मतदाता राष्ट्रीय असेंबली और प्रांतीय विधानमंडल दोनों के लिए एक साथ मतदान करते हैं। हालांकि, नगरपालिका चुनाव पांच साल के चक्र में प्रांतीय चुनाव से अलग होते हैं। 29 मई को, दक्षिण अफ्रीका में नई राष्ट्रीय असेंबली के साथ प्रत्येक प्रांत के लिए प्रांतीय विधानमंडल के आम चुनाव होंगे।
स्वीडन में आनुपातिक चुनाव प्रणाली
समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वीडन आनुपातिक चुनाव प्रणाली का पालन करता है, जिसका मतलब है कि राजनीतिक दलों को उनके प्राप्त वोटों के आधार पर विधानसभा में सीटों का आवंटन किया जाता है। यहां की प्रणाली में संसद, काउंटी परिषद और नगर परिषद के चुनाव एक साथ होते हैं। ये चुनाव हर चार साल में सितंबर के दूसरे रविवार को होते हैं, जबकि नगरपालिका चुनाव हर पांच साल में सितंबर के दूसरे रविवार को होते हैं।
सुभाष कश्यप जर्मनी की प्रक्रिया के समर्थन में
रिपोर्ट के मुताबिक, समिति के सदस्य और संविधान विशेषज्ञ सुभाष सी. कश्यप ने जर्मनी की संसद बुंडेस्टाग में चांसलर की नियुक्ति की प्रक्रिया और अविश्वास प्रस्ताव पर रचनात्मक वोट के जर्मन मॉडल का समर्थन किया।
जापान की चुनावी प्रक्रिया को भी सराहा
उन्होंने जापान की प्रक्रिया के बारे में भी बताया, जहां प्रधानमंत्री को पहले राष्ट्रीय संसद डाइट द्वारा नियुक्त किया जाता है, और फिर सम्राट उसे अपनी स्वीकृति देते हैं। उन्होंने जर्मनी और जापानी मॉडल के समान ढांचे की वकालत की। उनके अनुसार, यह भारत के लिए भी फायदेमंद होगा।
इंडोनेशिया में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद, प्रांतीय सभाओं के चुनाव एक साथ
इंडोनेशिया में 2019 से एक साथ चुनाव आयोजित किए जा रहे हैं। इस प्रणाली के तहत राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राष्ट्रीय और प्रांतीय सभाओं के सदस्य एक साथ चुने जाते हैं। मतदाता गुप्त मतदान करते हैं और फर्जी मतदान को रोकने के लिए उनकी अंगुली न मिटने वाली स्याही में डुबोई जाती है। राष्ट्रीय संसद में सीट हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों को कम से कम 4% वोट प्राप्त करना आवश्यक होता है। राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए उम्मीदवार को कुल मत के 50% से अधिक और देश के आधे राज्यों में कम से कम 20% वोट प्राप्त करने की जरूरत होती है। 14 फरवरी 2024 को, इंडोनेशिया ने सफलतापूर्वक एकसाथ चुनाव कराया है।
विपक्ष ने कहा- अलोकतांत्रिक कदम, करेंगे विरोध
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस कदम को अतार्किक और अलोकतांत्रिक बताया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र की आलोचना की और कहा कि उनकी पार्टी के सांसद इस कठोर कानून का विरोध करेंगे। ममता ने दावा किया कि यह एक सोचे-समझे बिना उठाया गया सुधार नहीं है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह विधेयक भाजपा का अपना एजेंडा है।
भाजपा ने बताया फायदेमंद, कहा- एक साथ चुनाव समय की मांग
भाजपा और अन्य सहयोगी दलों ने सरकार द्वारा पारित ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक की सराहना की और कहा कि यह समय की आवश्यकता है। सांसद कंगना रनौत ने कहा कि हर छह महीने में चुनाव कराने से सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ता है, और हर साल मतदान प्रतिशत में कमी हो रही है। यह एक सही कदम है, जिसे हर कोई समर्थन कर रहा है। कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव देश के लिए फायदेमंद होगा। लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि इस फैसले से विकास को बढ़ावा मिलेगा।
Source: amar ujala
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