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कोका-कोला की मिठास कैंसर दे सकती है:WHO ने कहा- इसमें एस्पार्टेम स्वीटनर, इसे खतरनाक पदार्थ की लिस्ट में डालेंगे

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कोका-कोला पीने से कैंसर का जोखिम है। यह बात वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने कही है।​ उसने चेतावनी जारी करते हुए कहा- कोका-कोला समेत अन्य सॉफ्ट ड्रिंक्स और फूड आइट्म को मीठा करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे आर्टिफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम से कैंसर होने का खतरा है।

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) जुलाई में एस्पार्टेम को ऐसे पदार्थों की लिस्ट में शामिल करेगी जिनसे कैंसर हो सकता है या इसका खतरा बढ़ जाता है। एस्पार्टेम का इस्तेमाल कोका-कोला, डायट सोडा से लेकर मार्स एक्स्ट्रा च्यूइंग गम और कुछ अन्य ड्रिंक्स में होता है।

WHO को अभी ये नहीं पता कि एस्पार्टेम वाले प्रोडक्ट का कितनी मात्रा में सेवन सुरक्षित
WHO ने अभी ये नहीं बताया है कि एस्पार्टेम युक्त उत्पाद का कितनी मात्रा में सेवन सुरक्षित है। नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ का कोई कितना सेवन कर सकता है, यह सुझाव WHO की एक अलग एक्सपर्ट कमेटी देती है। आमतौर पर यह सुझाव जॉइंट WHO एंड फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन एक्सपर्ट कमेटी ऑन फूड एडिटिव्स (JECFA) देता है।

एस्पार्टेम के इस्तेमाल की JECFA कर रही समीक्षा
एडिटिव्स पर WHO की समिति JECFA इस साल एस्पार्टेम के इस्तेमाल की समीक्षा कर रही है। 1981 में JECFA ने कहा था कि अगर एक सीमा तक (लिमिट में) रोज एस्पार्टेम का सेवन किया जाता है तो यह सुरक्षित है। उदाहरण के लिए 60 किलोग्राम वजन वाला एक शख्स अगर दिन में 12-36 कैन डाइट सोडा पीता है तो वह जोखिम उठा रहा है।

पिछले साल फ्रांस में एस्पार्टेम पर एक रिसर्च हुई। इस दौरान आर्टिफिशियल स्वीटनर का सेवन करने वाले एक लाख लोगों पर स्टडी हुई। इसमें पाया गया कि जो लोग भारी मात्रा में आर्टिफिशियल स्वीटनर (जिसमें एस्पार्टेम भी शामिल है) का सेवन कर रहे हैं उनमें कैंसर का खतरा ज्यादा था।

कोल्ड ड्रिंक की छोटी बोतल में 10 चम्मच चीनी
एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 350 ml की छोटी कोल्ड ड्रिंक्स कैन में भी 10 से 12 चम्मच चीनी घुली होती है। दूसरी ओर, WHO की एक रिपोर्ट कहती है कि दिन में 5-6 चम्मच से ज्यादा चीनी खाना खतरनाक है।

यानी कोल्ड ड्रिंक्स की एक छोटी बोतल पीने के बाद आप अपने दो से तीन दिनों की चीनी का कोटा पूरा कर लेते हैं। न्यू हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (HSPH) की एक रिपोर्ट (2015) के मुताबिक हर साल लगभग 2 लाख मौतों के लिए ऐसी ड्रिंक्स सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।

SOURCE : bhaskar.com

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