विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा फैकल्टी भर्ती नियम 2025 के मसौदे की अधिसूचना के बाद विरोध और चर्चाओं का सिलसिला शुरू हो गया है। विशेष रूप से शिक्षकों और विभिन्न संगठनों ने इन नियमों पर आपत्ति जताई है। इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए यूजीसी प्रमुख एम. जगदीश कुमार ने कहा है कि गैर-व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री धारकों को यूजीसी नेट (UGC NET) पास करना अनिवार्य होगा।
विरोध प्रदर्शन की शुरुआत
हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता से जुड़े यूजीसी नियमों के मसौदे को अधिसूचित किया। इसके बाद शिक्षकों के विभिन्न संघों ने उच्च शिक्षा में अनुबंध आधारित शिक्षकों की सीमा हटाने पर नाराज़गी जताई। तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों ने भी इन नियमों की आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा दे सकता है। शिक्षकों ने आशंका जताई कि ये नियम उच्च शिक्षा में संविदा आधारित भर्ती को और प्रोत्साहित कर सकते हैं।

यूजीसी प्रमुख ने क्या कहा?
यूजीसी प्रमुख एम. जगदीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो संदेश के माध्यम से फैली गलतफहमियों को दूर किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि गैर-व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में मास्टर डिग्री धारकों के लिए सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति हेतु यूजीसी नेट पास करना अनिवार्य है। हालांकि, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी जैसे पेशेवर कार्यक्रमों के लिए यह अनिवार्यता लागू नहीं होगी। यदि उम्मीदवारों के पास एमई (ME) या एमटेक (MTech) की डिग्री है, तो उन्हें नेट क्वालिफाई करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह नियम पूरी तरह एआईसीटीई (AICTE) की भर्ती दिशानिर्देशों के अनुरूप है।
विवाद की मुख्य वजह क्या है?
शिक्षक संघों का मानना है कि नए नियम उच्च शिक्षा में अस्थायी और अनुबंधित शिक्षकों की नियुक्ति को बढ़ावा देंगे, जिससे शिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। दूसरी ओर, यूजीसी का कहना है कि ये नियम उच्च शिक्षा में पारदर्शिता और योग्यता आधारित चयन प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं।
Source: Abp news
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